जनता
किसी गुस्ताख़ चींटी की तरह
जूती तले मसल दी जाएगी।
ताकि जनता माँग न सके
अपने हक़ का कुछ भी।
एक वेश्या के बदन से
जैसे ग्राहक कपड़े नोचता है,
ठीक वैसे ही,
ज़ुबाँ से नोंचकर फेंक दिए जाएँगे
उनकी सभी जायज़ माँगे।
वो तमाम चुनावी वादें
भूल जाने में ही भलाई है , चूँकि
जान है तो जहान है
और अपना देश महान है।
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’