जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
आश्वासन के जाल में , खा जाता वो मात ।
भूले अपनी भूख को , देखे झूठे ख़्वाब –
संचित करता रात-दिन, वादों की बरसात ।
सुशील सरना 3224
जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
आश्वासन के जाल में , खा जाता वो मात ।
भूले अपनी भूख को , देखे झूठे ख़्वाब –
संचित करता रात-दिन, वादों की बरसात ।
सुशील सरना 3224