Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2021 · 2 min read

जनता जनार्दन के अजब-गजब फैसले!

जन प्रतिनिधि ने जो खर्च मांग लिया,
तो ,वह जनप्रतिनिधि बेकार है,
कर्मचारी व अधिकारी ने काम के बदले में,
कुछ नजराना जता दिया तो वो ,उनका अधिकार है,
जनता जनार्दन का यह अजब-गजब व्यवहार है।

जो जनप्रतिनिधि बिन बेतन के,
रात दिन काम हैं आते,
कभी कभार,
यदि वह खर्च हुई रकम बताते,
तो जनता जनार्दन हैं उससे रुठ जाते ,
चुनाव आने पर वह यह याद दिलाते,
आ गये हैं श्रीमान खर्चा मांगने वाले,
अब नहीं हम तुम्हारे झांसे में आने वाले,
अब तो हम अपनी मर्जी करेंगे,
आपको तो हम अबकी देख लेंगे,
वो जनप्रतिनिधि,तब क्या हैं करते,
दारु पीलाते हैं,गर्म जेब करते हैं,
जो खर्च किया जा रहा है,
उसे, दूसरे तरीके से वसूल करते हैं,
हम ही तो हैं जो, इन्हें बेमान बनाते हैं,
और फिर कहते भी हैं,
जनता जनार्दन के फैसले, भी अजब-गजब रहते हैं।

मोटी हैं जिनकी पगारें,
वह काम के बदले में,
हैं नजराना चाहते ,
हम भी,
बिना लाग-लपेट के,
उनकी मुराद पूरी कर जाते,
अपने काम के बदले में,
वह इनाम, भेंट कर जाते,
ना हमें चोट पहुंचती,
ना वह भी लजाते,
खुशी खुशी,
हम भी विदा हो जाते,
कोई पूछे हमसे तो,
हम हैं बताते,
फंला बंदे ने,
मेरा काम किया है,
बिना झंझटों के,
मुझे निपटा दिया है,
भला मानुष है,
ना चक्कर लगवाए,
एक ही बार में,
काम को किया है,
मैंने भी,
उसके कहे अनुसार दिया है,
ना कोई झंझट,
ना कोई टंटा,
सहजता से,
चला आ रहा है यह धंधा,
अपना हुआ काम,
उसको मिला दाम,
बेतन है जिसके नाम।

जनता जनार्दन का भी यह अजब-गजब फैसला,
जो रहता दिन रात साथ,
उस पर नहीं एतबार,
जिससे पड़ता है कभी कभी सरोकार,
उस पर करते हैं सब कुछ न्योछावर।

Language: Hindi
433 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गंगा- सेवा के दस दिन💐💐(दसवां अंतिम दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन💐💐(दसवां अंतिम दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
चंद हाईकु
चंद हाईकु
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राम- नाम माहात्म्य
राम- नाम माहात्म्य
Dr. Upasana Pandey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
Rj Anand Prajapati
■ न तोला भर ज़्यादा, न छँटाक भर कम।। 😊
■ न तोला भर ज़्यादा, न छँटाक भर कम।। 😊
*प्रणय प्रभात*
इस पार मैं उस पार तूँ
इस पार मैं उस पार तूँ
VINOD CHAUHAN
मेहनत के दिन हमको , बड़े याद आते हैं !
मेहनत के दिन हमको , बड़े याद आते हैं !
Kuldeep mishra (KD)
झूठ का अंत
झूठ का अंत
Shyam Sundar Subramanian
गर कभी आओ मेरे घर....
गर कभी आओ मेरे घर....
Santosh Soni
विविध विषय आधारित कुंडलियां
विविध विषय आधारित कुंडलियां
नाथ सोनांचली
हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
अरशद रसूल बदायूंनी
एक औरत की ख्वाहिश,
एक औरत की ख्वाहिश,
Shweta Soni
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
याद आती है हर बात
याद आती है हर बात
Surinder blackpen
आधार छन्द-
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
Neelam Sharma
*सीमा की जो कर रहे, रक्षा उन्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
*सीमा की जो कर रहे, रक्षा उन्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
Rituraj shivem verma
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
The_dk_poetry
प्यार हमें
प्यार हमें
SHAMA PARVEEN
व्यक्तित्व की दुर्बलता
व्यक्तित्व की दुर्बलता
Dr fauzia Naseem shad
वसंत ऋतु
वसंत ऋतु
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"बात पते की"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
संवेदनहीन
संवेदनहीन
अखिलेश 'अखिल'
3288.*पूर्णिका*
3288.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
***
*** " मन मेरा क्यों उदास है....? " ***
VEDANTA PATEL
मन्नतों के धागे होते है बेटे
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
गाछ (लोकमैथिली हाइकु)
गाछ (लोकमैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चमचा चरित्र.....
चमचा चरित्र.....
Awadhesh Kumar Singh
Loading...