जनता जनार्दन के अजब-गजब फैसले!
जन प्रतिनिधि ने जो खर्च मांग लिया,
तो ,वह जनप्रतिनिधि बेकार है,
कर्मचारी व अधिकारी ने काम के बदले में,
कुछ नजराना जता दिया तो वो ,उनका अधिकार है,
जनता जनार्दन का यह अजब-गजब व्यवहार है।
जो जनप्रतिनिधि बिन बेतन के,
रात दिन काम हैं आते,
कभी कभार,
यदि वह खर्च हुई रकम बताते,
तो जनता जनार्दन हैं उससे रुठ जाते ,
चुनाव आने पर वह यह याद दिलाते,
आ गये हैं श्रीमान खर्चा मांगने वाले,
अब नहीं हम तुम्हारे झांसे में आने वाले,
अब तो हम अपनी मर्जी करेंगे,
आपको तो हम अबकी देख लेंगे,
वो जनप्रतिनिधि,तब क्या हैं करते,
दारु पीलाते हैं,गर्म जेब करते हैं,
जो खर्च किया जा रहा है,
उसे, दूसरे तरीके से वसूल करते हैं,
हम ही तो हैं जो, इन्हें बेमान बनाते हैं,
और फिर कहते भी हैं,
जनता जनार्दन के फैसले, भी अजब-गजब रहते हैं।
मोटी हैं जिनकी पगारें,
वह काम के बदले में,
हैं नजराना चाहते ,
हम भी,
बिना लाग-लपेट के,
उनकी मुराद पूरी कर जाते,
अपने काम के बदले में,
वह इनाम, भेंट कर जाते,
ना हमें चोट पहुंचती,
ना वह भी लजाते,
खुशी खुशी,
हम भी विदा हो जाते,
कोई पूछे हमसे तो,
हम हैं बताते,
फंला बंदे ने,
मेरा काम किया है,
बिना झंझटों के,
मुझे निपटा दिया है,
भला मानुष है,
ना चक्कर लगवाए,
एक ही बार में,
काम को किया है,
मैंने भी,
उसके कहे अनुसार दिया है,
ना कोई झंझट,
ना कोई टंटा,
सहजता से,
चला आ रहा है यह धंधा,
अपना हुआ काम,
उसको मिला दाम,
बेतन है जिसके नाम।
जनता जनार्दन का भी यह अजब-गजब फैसला,
जो रहता दिन रात साथ,
उस पर नहीं एतबार,
जिससे पड़ता है कभी कभी सरोकार,
उस पर करते हैं सब कुछ न्योछावर।