जनता को तोडती नही है
जनता को तोडती नही है
लोकतंत्र की नई – नई योजनाएं
बस! आदमी को घुटनों के बल
झुका देती है,
धीरे-धीरे अपाहिज बनाने के लिए।
जनता को तोडती नही है
लोकतंत्र की नई – नई योजनाएं
बस! आदमी को घुटनों के बल
झुका देती है,
धीरे-धीरे अपाहिज बनाने के लिए।