जनता कर्फ़यु पर एक कुंडली —आर के रस्तोगी
शाम पांच बजे जब मैंने,बालकनी में ताली बजाई |
घरवाली को छोड़कर, सभी पडोसने मिलने आई ||
सभी पडोसने मिलने आई,चाय पकोड़े भी लाई |
घरवाली ने जब देखा तो करी खूब मेरी ठुकाई ||
कह रस्तोगी कविराय,क्यों करते ऐसे तुम काम |
ऐसी हरकत जब करोगे ,तुम पिटोगे सुबह शाम ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम