जनक
नभ का भी कम ही सुना, जिनसे कुछ विस्तार
कर्मठ रहना फ़र्ज़ है, जिनका हर निशि-वार
जिनका हर निशि-वार, गात मिहनत में गलता
आत्मज का शुभ स्वप्न, स्वयं नैनों में पलता
बड़भागी हर ‘बाल’, जनक जिसके में ये दम
वह व्यक्तित्व विशाल, करे कद नभ का भी कम
नभ का भी कम ही सुना, जिनसे कुछ विस्तार
कर्मठ रहना फ़र्ज़ है, जिनका हर निशि-वार
जिनका हर निशि-वार, गात मिहनत में गलता
आत्मज का शुभ स्वप्न, स्वयं नैनों में पलता
बड़भागी हर ‘बाल’, जनक जिसके में ये दम
वह व्यक्तित्व विशाल, करे कद नभ का भी कम