जनक दुलारी
विश्व हिन्दी सृजन सागर मंच।
जनक दुलारी
दिनांक 16/11,/2023
स्वरचित मौलिक रचना
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धरती से प्रगट भई
आदिशक्ति भवानी
उद्भव स्थिति संहार कारिणी
क्लेश हारिणी, जग तारिणी
सुन लीजिए अरज हमारी
मां अम्बे श्री,जनक दुलारी
पति व्रता तुम त्याग मुर्ति
सीता सावित्री पति व्रता
मिथिला नंदनी धरा पुत्री
जनक दुलारी,जग वंदिता।।
विदेह राज की पुत्री भई
आदि शक्ति भवानी।
तव चरणं कवि विजय
नमस्यामी नमस्यामी ।।
बाल्यकाल से महिमा भारी
शिव चाप उठा डाली।
आदि शक्ति जनक दुलारी
कोदण्ड यज्ञ कर डाली ।।
जग जननी जनक दुलारी
कठिन संकल्प कर डाली
आदि शक्ति जगत जननी
आदि पुरुष वरण कर डाली
जनक राज की जनक दुलारी
सुनैना की आंख तारा थी।
श्रीराम लला से कर विवाह
यह भाग्य था सनातन की।।
स्वरचित रचना मौलिक
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग