जनक छंद में तेवरी
छंद विधान:
मापनी: हर प्रथम पंक्ति में मात्राएँ 22 22 212 =13
हर दुसरी पंक्ति में 22 22 212, 22 22 212 अर्थात इस तरह 13,13 पर यति
गंदे से इंसान सा
टुकड़े जैसे दान सा,मत सहना अपमान तुम.
थूके जैसे पान सा
अधमर जैसी जान सा, मत सहना अपमान तुम.
बहरे-बहरे कान सा
रोने जैसी तान सा, मत सहना अपमान तुम.
सूखे-सूखे धान सा
अहसानों से मान सा, मत सहना अपमान तुम.
बिन कारण अभिमान सा
अधकचरे से ज्ञान का, मत सहना अपमान तुम.
हरगिज़ झूठी शान सा
हर पल तीर कमान सा, मत सहना अपमान तुम.
झूठे से गुणगान सा
बस नकली तूफ़ान सा, मत सहना अपमान तुम.
@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता/साहित्यकार
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