“जटा”कलम को छोड़
काँवड़ियों पर हो रही, फूलों की बरसात।
बिन पुस्तक शिक्षा यहाँ,बयां करे हालात।।
बयां करे हालात, हुई है शिक्षा कैसी,
बदल रही तस्वीर,दिखे है लंका जैसी।।
देगी यह बरसात, हमें अब दाना पानी,
“जटा”कलम को छोड़,न करना तू नादानी।।
✍️जटाशंकर”जटा”