जज्बा
जज्बा
देश के खुनी आतंकियों का झटका है ,,
इसलिए औंधा मुह का लटका है ,,
हमारा वीर जवान कही नही भटका है ।
जज्बा सीने में कही नही रुका है ,,
आतंकियों की सीने में चीर कर वो ही रुकसा है ।
खूंखार आतंकी की कैसी है बोली है ,
जज्बा ही इसके दरार में पछाड़ने की गोली है ।
जज्बा से सर पर पताका को चढ़ाने में बहुत पसीना है,,
ठाँग खिंचे वो आतंकी बहुत कमीना है ।
देश में अशान्ति फैलाने में भरी आतंकी मशीनों से हुंकार ,
जब कि हमारे जज्बा जवान शेर की दहाड़ से भरते है हुँकार।
????प्रवीण शर्मा
ताल
स्वरचित कविता
मोबाइल नंबर 9165996865