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4 Feb 2024 · 1 min read

जज्बात लिख रहा हूॅ॑

ये ग़ज़ल नहीं मैं अपने जज्बात लिख रहा हूॅ॑
एक बात है ज़ुबां पर एक बात लिख रहा हूॅ॑
ये ग़ज़ल नहीं मैं अपने……….
कभी संग चला जमाना कभी रह गया अकेला
बिगड़े कभी तो संवरे मैं हालात लिख रहा हूॅ॑
ये ग़ज़ल नहीं मैं अपने……….
सबसे मिला मैं लेकिन नहीं बात की किसी से
दो पल मिली नजर को मुलाकात लिख रहा हूॅ॑
ये ग़ज़ल नहीं मैं अपने……….
एक चांद आसमां पर एक चांद सामने था
उसे रात की हकीकत इस रात लिख रहा हूॅ॑
ये ग़ज़ल नहीं मैं अपने……….
इस दिल में हैं किसी की बीती सुनहरी यादें
मिला दर्दे-दिल मगर मैं सौगात लिख रहा हूॅ॑
ये ग़ज़ल नहीं मैं अपने……….
है ‘V9द’ ने सिखाया मुझे जिंदगी को जीना
तन्हाॅ॑ अंधेरी संध्या को सुप्रभात लिख रहा हूॅ॑
ये ग़ज़ल नहीं मैं अपने……….

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