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28 Feb 2020 · 1 min read

जग प्रेम स्नेह का समन्दर है

उठ जाओ हुई भौर ।
गलियों में शुरू शोर ।
कोई पुकार रहा है,
महसूस करो चहुँओर ।।

बागों में खिल उठे फूल ।
पकड़ो न बातों का तूल ।
सुहावनी ऋतु आई है,
मिटा दो नफरत के शूल ।।

यह जीवन बड़ा सुंदर है ।
जानो तो वह मंदिर है ।
हर पल खुश रहिए ,
जग प्रेम स्नेह का समन्दर है ।।

Language: Hindi
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