जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का
तरुण जाग जाए, तब विकसित राष्ट्र,भाल छूता विकास का।
अगर सो गया, भ्रम ,हिंसा औ अवनतिमय दुश्चक्र नाश का।
जस मानव,वैसा स्वदेश है,सत्य बात सुनिए सुविज्ञ जन।
जगे जवानी तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का।
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बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रोंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
जागा हिंदुस्तान चाहिए कृति का मुक्तक
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05-05-2017