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29 Oct 2016 · 1 min read

जगमग हो परिवेश

चकाचौंध में खो गयी, घनी अमावस रात।
दीप तले छुप कर करे, अँधियारा आघात।।

दीपों का त्यौहार यह, लाए शुभ सन्देश।
कटे तिमिर का जाल अब, जगमग हो परिवेश।।

ज्योति पर्व के दिन मिले, कुछ ऐसा वरदान।
ख़ुशियाँ बरसे हर तरफ़, सबका हो कल्याण।।

© हिमकर श्याम

Language: Hindi
425 Views

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