जगत में
जगत में जी रहा ऐंसे ।
सदा रहना यहां जैंसे ।।
दो पल की जिंदगानी है।
खतम होगी कहानी है ।।
समय का खेल है जग में ।
मिलें कंटक सुमन मग में ।।
जिसे तू कह रहा मेरा ।
नहीं कुछ भी यहां तेरा ।।
मोह का बंध है भारी।
इसी से हैं विपत्ति सारी ।।
सदा हरि नाम जो गाता ।
उसे भव रोग नहि आता ।।
– सतीश शर्मा, नरसिंहपुर
मध्यप्रदेश
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