जगत में जो भी, प्रतीत होता है l
जगत में जो भी, प्रतीत होता है l
क्या कोई सही, जीवित होता है ll
प्यास, यहाँ हर है बस मायामयी l
प्यार व्यर्थ में, अवतरित होता है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
जगत में जो भी, प्रतीत होता है l
क्या कोई सही, जीवित होता है ll
प्यास, यहाँ हर है बस मायामयी l
प्यार व्यर्थ में, अवतरित होता है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”