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13 May 2018 · 1 min read

जगत की माएँ

बुनती ही रहती हैं
जगत की माएँ
दुआएँ
अपने बच्चों के लिए
दिन रात
युगों युगों से
उसी गति से
बुनती आ रही हैं

तोड़ कर
फेंक दी जाती हैं
घर की सफाई के वक़्त
चौखट के बाहर
सारी दुआएँ
जालों की मानिंद
मकड़ियों के
समेत

सहसा
उठती हैं वो
फ़िर
कहीं और जाकर
बुनने लगती हैं
दुआएँ अपने बच्चों के लिए
दोगुने साहस के साथ
जगत की सारी
माएँ,,,,

Language: Hindi
1 Like · 644 Views
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