जगणाश्रित दोहे
दिनाँक-28.04.2022
दिन– वीरवार
आधार–जगणाश्रित दोहे
सृजन शब्द– पुकार
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बैठी पुकार कर रही, मन से बहुत उदास।
चिड़िया सवाल कर रही, पाऊँ कहाँ निवास॥
सावन बहार पेड़ है, जीवन परम सुधार।
रोपण विकास ही सदा, सुन लो आज पुकार ।
खेती किसान की भली, कर्मठ जान बलिष्ठ ।
प्रभुवर पुकार प्रार्थना, कुदरत मान अधिष्ठ॥
पक्षी पुकार कर रहे, पानी धार अतीव ।
तापम निढाल हो रहे, झेले मार नसीब ॥
रहते निरोग ही सदा, करते योग विधान।
मानुष पुकार प्रार्थना, होते रोग निदान॥
शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश🙏