जख्म चुपके से सहल जाई
हाल केसे अब कहल जाई।
आदमी पल में बदल जाई।
नून मुठ्ठी में हवे सबके-
जख्म चुपके से सहल जाई।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
हाल केसे अब कहल जाई।
आदमी पल में बदल जाई।
नून मुठ्ठी में हवे सबके-
जख्म चुपके से सहल जाई।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’