“जख्मी दिल, अब किसी को दिखा ना पाएंगे”
जख्मी दिल, अब किसी को दिखा ना पाएंगे।
टूटे हैं हम इस कदर की, हाल-ए-दिल अब सुना ना पाएंगे।
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थी इक बेवफा, जिसने मुझे घायल किया है।
इस कदर तोड़ा है मुझे ,की अब दिल किसी से लगा ना पाएंगे।
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कहती थी, तुम्हारी मुस्कुराहट चेहरे को रौशन करती हैं।
उसी ने दिल के लाखो टुकड़े किया है,की अब कभी मुस्कुरा ना पाएंगे।
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अफसोस तो इस बात का है,जिसको अपनी जान बनाया ।
उसी ने जान का सौदा किया है, कि अब किसी को अपना बना ना पाएंगे।
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बहुत खूबसूरत यादे थी उसकी, जो अब नासूर बन गईं हैं।
मज़ाक उड़ाते अपने ही,दर्द अपना अब किसी को दिखा ना पाएंगे।
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जख्मी दिल, अब किसी को दिखा ना पाएंगे।
टूटे हैं हम इस कदर की, हाल-ए-दिल अब सुना ना पाएंगे।