**जकड़ी है**
****जकड़ी है****
कुर्बानी से उपजी थी अब तस्वीरों में जकड़ी है,
ऐ हिंद! तेरी आज़ादी सौ-सौ जंजीरों में जकड़ी है l
हर मुफलिस की भूख ने इसको अपनी कैद में रख्खा है,
और यही पैसे वालों की जागीरों में जकड़ी है l
मां-बहनों पर दिन ढलते ही खौफ़ का साया रहता है,
और हवस के भूखों की ये तासीरों में जकड़ी है l
भ्रष्टाचार का दानव इसको बरसों-बरस सताता है,
ये संसद की उल्टी-सीधी तदबीरों में जकड़ी है l
मजहब के साये में दंगे रोज पनपते जाते हैं,
ये जन्नत की ख्वाहिश वाले ताबीरों में जकड़ी है l
कलमगार की बिकी कलम ने वक्त से नाता तोड़ लिया,
ये गद्दारों के हाथों अब गालिब-मीरों में जकड़ी है ll
Word-meanings-
मुफलिस=गरीब
तासीर=चरित्र
तदबीर=सलाह/राय
ताबीर=सपनों की हक़ीक़त
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-Er Anand Sagar Pandey