✍️जंग टल जाये तो बेहतर है✍️
✍️जंग टल जाये तो बेहतर है✍️
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कल मैं अकेला चला था,
आज उस राह कारवाँ चला है ।
अंजाम मंजुर है चाहे कुछ भी हो,
वो होकर बेपरवाह चला है ।।
एक शोला ही तो काफ़ी है,
अंदर तप रहा वो जलजला है ।
रगों में जमसा गया था वो खून,
आज बनकर आबरवाँ चला है ।।
मंझिल मिल हि जायेगी
गर तुमने पाने की ठानी है ।
वो देख पहाड़ो से टकराने
रास्तो पे इंसान का जज़्बा चला है ।।
नये परिंदों को आसमान
छूने की तालीम देनी पड़ेगी ।
सरज़मी पे दुष्मन बाज़ खड़ा है,
उसका हमला कही मर्तबा चला है ।।
जंग टल जाये तो बेहतर है,
यही वक़्त का तक़ाज़ा है ।
अमन,भाईचारा जो कायम करे
उसे ख़ुद हासिल रुतबा चला है।।
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✍️”अशांत”शेखर✍️
04/06/2022