जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
ये वक्त बदलता देखा है तकदीर बदलती देखी है
आज के राझों सोच समझ के भागो हीर को लेके
कोर्ट कटघरों में खड़ी हुई मैंने हीर बदलती देखी है
कवि आजाद मंडौरी
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
ये वक्त बदलता देखा है तकदीर बदलती देखी है
आज के राझों सोच समझ के भागो हीर को लेके
कोर्ट कटघरों में खड़ी हुई मैंने हीर बदलती देखी है
कवि आजाद मंडौरी