जंगल है तो मंगल है
जंगल किसी भी भूभाग की निहित संपदा,
प्रकृति का निवास स्थल, पशु पक्षी जीव-जन्तुओं का आश्रय सथल, आदिवासी इनके संरक्षक,,
धरती पर भले ही भूभाग के लगभग सत्तर प्रतिशत पानी हो,
लेकिन पीने योग्य पानी पांच से सात प्रतिशत ही,
सांख्यिकी शरीर की भौतिक संरचना की भी ऐसी ही है, शरीर में जलीय तत्व मात्रा लगभग समान.
लघुकथा के अनुरूप देखें
तो आदिवासी समुदाय ही.
असल जंगल के पुष्प हैं
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हवा के अधिक और कम दबाव पैदा करने में वृक्षों का बहुत अधिक महत्व है.
पानी को जड़ों के जरीये सोखना,
वाष्पीकरण और प्रकाश संश्लेषण विधि से प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट विटामिन मिनरल्स का मिश्रण पैदा करना,
वरसात में सहायक,
पीने योग्य पानी की मात्रा को बढ़ावा देना.
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तुम्हारे स्वप्न और हकीकत एक जैसे है,
प्रकृति न वो पकड़ में आते न ही तेरा.
@स्वरूप