जंगल की आग
जंगल में सिर्फ पेड़ नहीं होते
रहते है यहां हजारों पशु पक्षी
जंगल में घर होते है इनके
जहां रहते है उनके बच्चे भी।।
कोई सरफिरा आग लगाता है
बस अपने शौक के लिए जंगल में
कोई ठंड से बचने के लिए
और कोई ज़मीन हड़पने के लिए।।
जानता नहीं आशियाना
उजाड़ रहा है वो किसी का
ज़िंदा मासूम बच्चा भी
जला रहा है वो किसी का।।
हजारों जानवरों को
आग की भेंट कर रहा है वो
जो बच भी गए कुछ
उनका भोजन छीन रहा है वो।।
जल जाते है पूरे जंगल
वन संपदा हो जाती तबाह
फैलता धुआं चारों ओर
प्रदूषण बढ़ा रहा गांवों में।।
कर रहा महरूम स्वच्छ हवा से
हो रहा देश को भी नुकसान
जल रही अमूल्य वनसंपदा
कौन पूरा करेगा ये नुकसान।।
जलते हैं लोगों के आशियाने जब
उनको तो मुआवजा मिलता है
बेजुबान जानवर और पेड़ पौधे
किससे मुआवजा मांगें अब यहां।।
आ जायेंगे जब रिहायिशी इलाके में
लगाकर पिंजरा पकड़ लिए जायेंगे
कैद हो जायेगें किसी चिड़ियाघर में
बस, यही मुआवजा वो पाएंगे।।