Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Apr 2022 · 1 min read

जंगल की आग

जंगल में सिर्फ पेड़ नहीं होते
रहते है यहां हजारों पशु पक्षी
जंगल में घर होते है इनके
जहां रहते है उनके बच्चे भी।।

कोई सरफिरा आग लगाता है
बस अपने शौक के लिए जंगल में
कोई ठंड से बचने के लिए
और कोई ज़मीन हड़पने के लिए।।

जानता नहीं आशियाना
उजाड़ रहा है वो किसी का
ज़िंदा मासूम बच्चा भी
जला रहा है वो किसी का।।

हजारों जानवरों को
आग की भेंट कर रहा है वो
जो बच भी गए कुछ
उनका भोजन छीन रहा है वो।।

जल जाते है पूरे जंगल
वन संपदा हो जाती तबाह
फैलता धुआं चारों ओर
प्रदूषण बढ़ा रहा गांवों में।।

कर रहा महरूम स्वच्छ हवा से
हो रहा देश को भी नुकसान
जल रही अमूल्य वनसंपदा
कौन पूरा करेगा ये नुकसान।।

जलते हैं लोगों के आशियाने जब
उनको तो मुआवजा मिलता है
बेजुबान जानवर और पेड़ पौधे
किससे मुआवजा मांगें अब यहां।।

आ जायेंगे जब रिहायिशी इलाके में
लगाकर पिंजरा पकड़ लिए जायेंगे
कैद हो जायेगें किसी चिड़ियाघर में
बस, यही मुआवजा वो पाएंगे।।

Language: Hindi
6 Likes · 1 Comment · 636 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
🙅आज का आभास🙅
🙅आज का आभास🙅
*प्रणय प्रभात*
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
ruby kumari
श्रम दिवस
श्रम दिवस
SATPAL CHAUHAN
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"" *नवीन नवनीत* ""
सुनीलानंद महंत
वो इश्क़ कहलाता है !
वो इश्क़ कहलाता है !
Akash Yadav
फितरत
फितरत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
3452🌷 *पूर्णिका* 🌷
3452🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
कवि रमेशराज
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
Neelam Sharma
गज़ल
गज़ल
Jai Prakash Srivastav
तुम्हें भुलाने का सामर्थ्य नहीं है मुझमें
तुम्हें भुलाने का सामर्थ्य नहीं है मुझमें
Keshav kishor Kumar
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
दीवाली
दीवाली
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
हालातों से युद्ध हो हुआ।
हालातों से युद्ध हो हुआ।
Kuldeep mishra (KD)
" यादें "
Dr. Kishan tandon kranti
सबसे सुगम हिन्दी
सबसे सुगम हिन्दी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
"यादें" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ನೀನೆಷ್ಟರ ಗಂಡಸು???
ನೀನೆಷ್ಟರ ಗಂಡಸು???
ಗೀಚಕಿ
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
gurudeenverma198
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गौरी सुत नंदन
गौरी सुत नंदन
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
थोड़ा राज बनकर रहना जरूरी हो गया है दोस्त,
थोड़ा राज बनकर रहना जरूरी हो गया है दोस्त,
P S Dhami
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Trust the timing of your life
Trust the timing of your life
पूर्वार्थ
रंगों में भी
रंगों में भी
हिमांशु Kulshrestha
ख़ौफ़ इनसे कभी नहीं खाना ,
ख़ौफ़ इनसे कभी नहीं खाना ,
Dr fauzia Naseem shad
सर्वप्रिय श्री अख्तर अली खाँ
सर्वप्रिय श्री अख्तर अली खाँ
Ravi Prakash
Loading...