छौर कर लिया
कि इस रूप में तु है या तुझ में ये रूप है
कि इस रूप में तु है या तुझ में ये रूप है
उदासी के अंधेरे में मुस्कुराहट की धुप है
खुले आजा़द ख्याल में भी कैद से रहते है
रंगीन दुनिया तो है पर सफेद से रहते है।
जताते नहीं है हक वो ,जो हक मेरे सारे है
निभातें है वो सब हक ,जो हक तुम्हारें है।
कुछ न बोलकर खुद को मौन कर लिया है
पहलें थे तेरी और अब दोनों ने दो छौर कर लिया।