छोड़ दी हमने अब तेरी चाह
छोड़ दी हमने अब तेरी चाह
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छोड़ दी हमने अब तेरी चाह
तेरी मेरी अलग – अलग राह
कर के देखे है प्रयत्न हजार
मिल ना पाई हमें तेरी पनाह
तुम्हें ढूंढा जहां में यहाँ- वहाँ
कहाँ पे बैठे हो किस दरगाह
छोड़ दिया तन्हा तुमने यहाँ
कर दिया है ऐसा क्या गुनाह
रह गए हम तुम्हे पाते – पाते
टूट गई हिम्मत और उत्साह
देखके करते हो नजरअंदाज
क्यों बैठे हो बन के बेपरवाह
देख कर हालत और हालात
सुखविंद्र छोड़दी है तेरी राह
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)