छोड़ो भी
दिल पर अपने बात लगाना छोड़ो भी
दिल अपना बिन बात जलाना छोड़ो भी
खुद को मत कमजोर दिखाओ लोगों को
बात बात पर अश्क बहाना छोड़ो भी
बार बार ही इत्तेफ़ाक़ नहीं होते
अंधेरों में तीर चलाना छोड़ो भी
उसी अक्स में देखो पहले खुद को तुम
औरों पर इल्ज़ाम लगाना छोड़ो भी
नहीं कुतर्कों से कोई भी जीता है
चीख चीख कर रौब जमाना छोड़ो भी
उतर गये हो अब भाई तुम कुर्सी से
अब अपने ये भाव दिखाना छोड़ो भी
बढ़ो ‘अर्चना’ आगे अपने बूते पर
क्या कहता है तुम्हें ज़माना , छोड़ो भी
17-12-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद