छोड़ो न कभी सत्य राह
जब जब होती है व्यथा ।
बन जाती है एक कथा ।।
कष्ट सहकर ही निखरते ।
चोट से ही हीरे बिखरते ।।
गिरने से चलना सीखा ।
मधुर गान आए, जब चीखा ।।
जब जब पसीना बहता है ।
बहुत कुछ वह कहता है ।।
जब छंटता अंधेरा घोर ।
आती सुखद सुहावनी भौर ।।
पौधों को देते पानी पल पल ।
तब आते है मीठे मीठे फल ।।
जब आप अच्छे होते है ।
सब जन सच्चे बन जाते है ।।
राह छल कपट और झूठ की ।
अंत बन जाती सम ठूठ की ।।
इसलिए जग कहता……….
छोड़ो न कभी सत्य राह ।
पूर्ण होती है सब चाह ।।
।।।जेपीएल।।।