छोड़ेंगे कभी भी न तेरा साथ
**छोडेंगे कभी भी न तेरा साथ**
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छोडेंगे कभी भी न तेरा हम साथ
हाथों में लिया है जब से तेरा हाथ
प्रेम की गहराई में हम तो डूबें हैं
दीवानों को ख़ुदा का मिला साथ
सब्र कर अरमान पूर्ण हो जाएंगे
तारों भरी रात में न हो तुम अनाथ
जब से हम तुम्हारे हुए हैं चाँद से
तुम हमारी चाँदनी हो बिन स्वार्थ
जब से देखा हमने उन्हें पास से
खिली कपास से बने हो मेरे नाथ
जिंदगी के अधूरे अरमान पूरे हुए
मनसीरत राह में हुए हो तुम साथ
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)