छोड़कर सब नेमतें जनता से मिलने आ गये।
मुक्तक
छोड़कर सब नेमतें जनता से मिलने आ गये।
अब विकास और विरासत में हमें उलझा गये।
नौकरी खेती किसानी बिजली पानी भूलकर,
राम धुन ही गुनगुनाओ बस यही समझा गये।
……✍️ प्रेमी
मुक्तक
छोड़कर सब नेमतें जनता से मिलने आ गये।
अब विकास और विरासत में हमें उलझा गये।
नौकरी खेती किसानी बिजली पानी भूलकर,
राम धुन ही गुनगुनाओ बस यही समझा गये।
……✍️ प्रेमी