छोड़ दिया सबने ही जहां में हमको।
छोड़ दिया सबने ही जहां में हमको हमारे गर्दिश ए हाल पर।
इस रंग बदलती दुनिया में किसी को भी ना है हमारा ख्याल अब।।1।।
तुमने दौलत के दम पर दुनिया में सब कुछ ही खरीदा होगा।
पर जन्नत जहन्नम मिलेगी तुमको बस अपने आमाल पर।।2।।
बूंद बूंद आब को तरसी कर्बला में जानें कितनी ही जिंदगियां।
पर यजीदियों को रहम ना आया फातिमा जोहरा के लाल पर।।3।।
मुद्दतों बाद फिर वो याद आया बेवफा मुझे ना जाने क्यों।
दिल तड़प कर रोया जब अश्क बन कर शोला गिरे गाल पर।।4।।
उनसे कह दो ज़रा उनके ही जैसे हम भी हैं खुदा के बंदे।
हमारा भी खूं उनकी तरह लाल है ना मानें तो देखले निकाल कर।।5।।
वफ़ा अब देखने को दुनियां में कहीं भी किसी में मिलती नहीं है।
देखो तो ये परिंदे भी ना बैठते हैं सूखे दरख़्तों की किसी डाल पर।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ