छोड़ आए हैं
खिले तू जिंदगी हम वो सहारा छोड़ आए हैं
हसीं इक मौत का सुंदर नजारा छोड़ आए हैं
भँवर में डूबने वालों जरा कोशिश करो के हम
नदी के पास ही उसका किनारा छोड़ आए हैं
जुनूँ देखो हमारा के तुम्हें पाने की ख़्वाहिश में
फलक पर चाँद,सूरज औ सितारा छोड़ आए हैं
चुभा करते थे जिन आँखों में काँटों की तरह हरदम
उन्हीं आँखों में पानी हम भी खारा छोड़ आए हैं
भटक जाएँ तो मंजिल तक पहुँच जाएँ ये मुमकिन है
हम इन आँखों के ख्वाबों को आवारा छोड़ आए हैं
किसी भी और का हिस्सा हमें भाया नहीं ‘संजय’
हाँ ले आए हैं अपना पर तुम्हारा छोड़ आए हैं