छोड़ो ये बेकार की बातें
छोड़ो ये बेकार की बातें
आओ करें प्यार की बातें
तुझे मंज़िल भला मिलेगी कैसे
जो सुनी सौ-हज़ार की बातें
बड़ी मुख़्तसार है ज़िंदगी हाय
क्यूँ करें तक़रार की बातें
हँसी में उड़ाकर ना देखो
यूँ अपने बीमार की बातें
सुकून-ए-दिल दर्द की दवा थी
वो चैन- ओ -क़रार की बातें
लुत्फ़-ए-ज़ीस्त है अगर देखो
याद रहीं इंतेज़ार की बातें
आते हैं ख्वाबों में करने
‘सॅरू’ से वो दीदार की बातें