छोड़ो भी यह बात अब , कैसे बीती रात ।
छोड़ो भी यह बात अब , कैसे बीती रात ।
आँखों में उलझी रही, दो लफ्जों की बात ।
दो लफ्जों की बात , रात भर रही उदासी ।
तड़पे जैसे मीन , नीर में रहकर प्यासी ।
कह ‘ सरना ‘ कविराय, लाज के बंधन तोड़ो ।
क्या होगा परिणाम , बात यह कल पर छोड़ो ।
सुशील सरना / 13-6-24