छोटी सी भूल
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छोटी सी भूल
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मैं इक झौंका मस्त पवन का,
तू फूलों की शहजादी,
मैंने थोड़ी सी हलचल की,
तूने खुशबू फैला दी ।
स्वयं निमंत्रण भी दे डाला,
उन अनजाने भौंरों को,
जिनकी नीयत बदली-बदली,
छोड़ चले जो औरों को ।
आसमान मैं उड़ते बादल,
तुझ पर नज़रें रखते हैं,
चाँद-सितारे भी छुप-छुप कर,
बातें तेरी करते हैं ।
गुलशन में हो रहा आजकल,
चर्चा तेरी जवानी का,
दिल मचले हैं रस पीने को,
रूप तेरे नूरानी का ।
पर तू है नादान रूपसी ,
भूल न ऎसी कर जाना,
कहीं न चुन ले तुझे डाल से,
कोई निर्मोही अनजाना ।
किसी अजनबी की बातों में,
आकर बहक न जाना रे !
छोटी सी इक भूल के कारण,
पड़े न फिर पछताना रे !
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(हरीश चन्द्र लोहुमी, लखनऊ, उ॰ प्र॰)
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