छोटी सी बच्ची बन जाऊं!!
छोटी सी बच्ची बन जाऊं!!
(विधा- छंदमुक्त स्वतंत्र )
कभी कभी दिल करता है छोटी सी बच्ची बन जाऊं
छोङ तमाशा दुनियादारी का मां के आंचल छुप जाऊं!!
भागूं दौङूं उङूं पंतग सी, फिर ख्वाहिशों के पेच लङाऊं
छज्जे उपर छम छमके नाचूं, मस्त मोरनी बन जाऊं!!
मां की गोदी के सिरहाने, माथे की चम्पी करवाऊं
लम्बे लम्बे बालों की, कस के दो चोटी कर आऊं!!
पापा के आंगन में, भइया बहना के लाङ लङाऊं
बच्चों की टोली को लेकर ,गलियों में शोर मचाऊं!!
झूला झूलूं पेंग बढाऊं, आसमान को छू के आऊं
पेङो की फुनगी पे चढके, बादल हाथों में ले आऊं!!
चंदा पाने का सपना देखूं ,तारों को झोली भर लाऊं
थोङा है थोङे की जरूरत, ना सोचूं खुश हो जाऊं!!
मम्मी की साङी पहनूं ,गुड्डे गुङिया का ब्याह रचाऊं
झूठ मूठ के सजे बराती, मिलकर ज्यौनार जीमाऊं!!
मै मस्त कंलदर सी बनके, बेफिक्री का हुङदंग मचाऊं
बीते कल की घङी में घुसके, इक लम्हा बचपन लाऊं!!
कभी कभी दिल करता है छोटी सी बच्ची बन जाऊं
छोङ तमाशा दुनियादारी का मां के आंचल छुप जाऊं!!
—— डा. निशा माथुर(स्वरचित)