छोटी सी नाव
आंकड़े अक्सर चौका देते है चुनाव में।
दो लोग बैठे थे एक छोटी सी नाव में।।
मंजिल मालूम थी,,
पर दिखता ना किनारा था।
यह मानो कि डूबते को,,
तिनके का सहारा था।।
तूफान था भयंकर,,
पथ पर बहुत पत्थर थे।
चारों तरफ नाव के,,
मगर लगा रहे चक्कर थे।।
दोनों साहसी थे,,
तूफानों से परिचित थे।
मगर जाने क्यों दोनों,,
आज बड़े विचलित थे।।
दोनों कहते थे,,
मैं हूं बहादुर।
नाव बचाने हेतु,,
दोनों थे आतुर।।
तूफानों से डरकर,,
नाव जब कँपने लगी।
सहसा उस समुद्र में,,
बिजली कड़कने लगी।।
पानी से पूरित नाव,,
डूबने ही वाली थी।
बैठने हेतु नाव में,,
थोड़ी ही जगह खाली थी।।
इतने में पहले नाविक ने,,
डर-कर छलांग मारी।
मानो कि उसने तो,,
जीती हुई बाजी हारी।।
फिर क्या था??
दूसरे नाविक ने,,
नाव को संभाल लिया।
तूफानों के चंगुल से,,
नाव को निकाल लिया।।
जीते हुए विजेता को,,
बधाई हो! यह कामना है।
ट्रम्प के बाद अब,,
विडेन की मित्रता को जानना है।।