***छोटी सी जिंदगी***
***छोटी सी जिंदगी***
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नित्य भौर संग उठ जाता हूं,
दिनभर दौडधूप कर लेता हूं।
उद्योग जठर के लग जाता हूं,
यूं छोटी सी जिंदगी बिता लेता हूं।
गर दौडधूप से थक जाता हू,
तब नव उमंग मैं भर लेता हूं।
निज पथ पर निकल पडता हूं,
यूं छोटी सी जिंदगी बिता लेता हूं।
निज बरकत का खा लेता हूं,
मैं गैर का हक ठुकरा देता हूं।
तब खुद को आश्वस्त पाता हूं,
यूं छोटी सी जिंदगी बिता लेता हूं।
रिश्ते नाते सब निभा लेता हूं,
मै सब के भाव में बह लेता हूं।
ठेस भूल से भी नही दे पाता हूं,
ये छोटी सी जिंदगी बिता लेता हूं।
माँ-बाप का दास बन जाता हूं,
जमीन पर अक्सर बैठ लेता हूं।
सारा बड़प्पन भूल सा जाता हूं,
यूं छोटी सी जिंदगी बिता लेता हूं।
नित नित अन्तर कचोटता हूं,
उस रब का सजदा करता हूं।
जिसके प्रसाद से सांसे लेता हूं,
यूं छोटी सी जिंदगी बिता लेता हूं।
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22/9/2019
✍️ प्रदीप कुमार”निश्छल”