छोटी सी जिंदगी मेरी
मैं पढ़ता रहा इसलिए चलो कहीं तो काम मिलेगा।
मुझे कहां पता था मेरी डिग्रियां नहीं काम आएगी।।
ऐसा वैसा काम करने में लगता नहीं अब मन मेरा।
छोटी सी जिंदगी मेरी क्या यूं ही तमाम जाएगी।।
होती पूंजी पास तो कोई व्यापार खोल बैठता मैं।
दौर “प्रतियोगिता” का तमन्ना कब इनाम पाएगी।।
जवाबदारियों का बोझ कुछ ऐसा बढ़ गया मुझ पर।
एक को निभाऊं अनुनय दूसरी हो धड़ाम जाएगी।।
राजेश व्यास अनुनय