छोटी-सी-जगह
छोटा-सा
एक रास्ता
जो जाता
तुम्हारे दिल तक
और लौटता
मेरे दिल से होकर l
चाहता हूँ –
इस रास्ते के सहारे पहुँचूँ
तुम्हारे दिल के किसी कोने तक
जहाँ बना सकूँ
मैं एक छोटी जगह।
क्योंकि इस महानगरीय
जीवन में सब कुछ है बिकाऊ
रिश्ते-नाते
दोस्त-मित्र
हँसी-मुस्कान ।
किंतु –
मैं बनाना चाहता हूँ
अपनी अलग पहचान।
अटूट रिश्ते-नाते
दोस्ती का संबंध
जिसमें हो
प्यार की भीनी-भीनी गंध।
डॉ. विवेक कुमार
तेली पाड़ा मार्ग, दुमका-814 101
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