छोटी छोटी बातें
* छोटी-छोटी बातें (गीत) *
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छोटी – छोटी सी ये बातें।
कब बन जाती लंबी बातें।
दो दिन की यहाँ जिंदगानी,
मत करो कभी बेईमानी,
दो दिन की जैसे बरसातें।
कब हो जाती लंबी बातें।
घर में ही तो प्यार भरा है,
बता बाहर क्या कुछ धरा है,
शरबत सी मीठी हैं बातें।
कब बन जाती लंबी बातें।
पहले तुम मन में लो तोलो,
फिर कुछ कंठ से जरा बोलो,
जैसे सर्दी की ठण्डी रातें।
कब बन जाती लंबी बातें।
उठ जाग करो मत तुम देरी,
जग में रहती तेरी – मेरी,
बांटों प्रेम मधुर सौगातें।
कब बन जाती लंबी बातें।
मनसीरत यही जान पाया,
कुछ भी नहीं अपना-पराया,
अच्छी होती हैं मुलाकातें।
कब बन जाती लंबी बातें।
छोटी – छोटी सी ये बातें।
कब बन जाती लंबी बातें।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)