छोटी – छोटी खुशियों को हम
छोटी – छोटी खुशियों को हम
रोज अपनी गुल्लकों में बचाते हैं।
इधर – उधर से मन खट्टा हो जाए
तो फिर अपनी गुल्लक में झाँकते हैं।
– मीरा ठाकुर
छोटी – छोटी खुशियों को हम
रोज अपनी गुल्लकों में बचाते हैं।
इधर – उधर से मन खट्टा हो जाए
तो फिर अपनी गुल्लक में झाँकते हैं।
– मीरा ठाकुर