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21 Mar 2018 · 1 min read

छोटी छोटी खुशियाँ ले कर आएगी कविता

(आज विश्‍व कविता दिवस की सभी साहित्‍यकार बंधुओं को शुभकामनायें)

छंद- विष्णुपद (सम मात्रिक)
शिल्प विधान- 16,10 अंत गुरु से.
पदांत- कविता
समांत- आएगी

छोटी-छोटी खुशियाँ ले कर, आएगी कविता.
खट्टी-मीठी बतियाँ जी भर, गाएगी कविता.

गीत, गीतिका, मुक्तक सारे, बंधन छंदों के,
छोड़ आज बस मुक्त गगन में, छाएगी कविता.

कुछ दिन ही आते जीवन में, जी भर कर जीते,
उन अनमोल क्षणों को भी जी, पाएगी कविता.

हाथ जोड़ कर हाथ मिला कर, लग कर खूब गले,
नये साल में सौगातें दे, जाएगी कविता.

कविता ने नवगीत तलक का, सफर किया पूरा,
प्रेम टूट कर करो एक से, छाएगी कविता.

चलो प्रेम का दूर क्षितिज तक, पहुँचायें’ संदेश
आसमान छू लोगे वो रँग, लाएगी कविता.

‘आकुल’ रचना धर्म निभाना, कविता खूब लिखें,
वक़्त पड़े दुश्मन का भी गढ़, ढाएगी कविता.

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