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4 Jun 2023 · 1 min read

छोटा सा शहर बसता है

बहुत मशहूर हूँ फिर भी ये दिल तरसता है,
मेरा अपना ही ग़म है जो मुझपे हँसता है।
है चकाचौंध बहुत शोर है रफ्तार भी है-
मेरे भीतर मेरा छोटा सा शहर बसता है‌।

रोज़ मिलता है मगर अजनबी सा लगता है,
रात दिन जागता है, भागता है,चलता है।
कितनी चीज़ें मेरे अंदर सिमट के आई है-
मेरे भीतर मेरा छोटा सा शहर बसता है।

लाख कोशिश करूंँ कुछ भी नहीं बदलता है,
रास्तों की तरह मीलों तलक ये चलता है।
भीड़ यादों की दौड़ती है रात दिन दिल में-
मेरे भीतर मेरा छोटा सा शहर बसता है।

रिपुदमन झा ‘पिनाकी’
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
1 Like · 132 Views
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