“*छू लो आसमां को”*
“*छू लो आसमां को”*
छू लो आसमां को मंजिल अभी दूर है ,
आशायें कम ना हो, उम्मीद की किरणें अभी बाकी है।
कुछ अरमान संजोये हुए , जो अधूरे पड़े हुए हैं,
उठो जागो हे मानव व्यर्थ समय खो रहा ,अंतिम पड़ाव आना अभी बाक़ी है।
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धरती से अंबर तक चमकते सितारों की चमक लिए,
आगे बढ़ते ही चलो, फासलों को तय करने की जिदध अभी बाकी है।
संघर्षों से जूझते हुए कदमताल ,जो थम कर रुक गए हैं,
अपनेपन का एहसास कराते हुए दूरियां मिटाने के लिए दुआओं का असर अभी बाकी है।
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आंखों से ओझल ना होने जाए, समय अनमोल तोहफा है मगर ,
अंधियारे से उजाले की तरफ ,रोशनी की चमक अभी बाकी है।
कश्ती में सवार होकर नाविक बन बैठे हुए हैं,
नैया पार लगाने वाला खिवैया ,प्रभु का सहारा ही आधार अभी बाकी है।
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छू लो आसमां को हकीकत हो, या ख्वाब में ही यहसास हो लेकिन फिर भी,
अंतर्मन में धैर्य बंधा ,प्रभु की कृपादृष्टि पैगाम आना अभी बाकी है।
आयेगा बुलावा प्रभु का जब, एक दिन तो छोड़ कर सभी को जाना है,
तूफ़ानों से लड़कर, लहरों को चीरकर, ही आगे बढ़ते जाना अभी बाकी है।
यूँ तो हर इंसान बेबस ,हालत से मजबूर हो गया है मगर,
कर्त्तव्य पथ प्रदर्शक अडिग, हौसला अफजाई से हिम्मत दिखाके फर्ज निभाना अभी बाकी है।
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शशिकला व्यास शिल्पी✍️