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13 Jan 2022 · 1 min read

‘छूना कुछ नज़ाकत से’

अगर शब्दों से भी छूना तो छूना कुछ नज़ाकत से
बड़ी बारीक यादें है मिली दिल को विरासत में

नहीं हैं डर प्रलय का भी मोहब्बत हो गई जब से
तुम्हारे प्यार में अकसर मिले हैं हम क़यामत से

नहीं बनवास लेना है तुम्हारे दिल में रहना है
कभी भी दूर मत करना हमें अपनी रियासत से

तुम्हे पूजा झुका के सर दरस फिर हो गया हमको
मिला है जो मिला हमको मोहब्बत में इबादत से

हमें है सीखनी जो भी मोहब्बत आप सिखला दो
हमें तो कुछ नहीं लेना किसी किस्से कहावत से

वही अपना रहे हैं हम तरीके जो तुम्हारे हैं
मोहब्बत हो नहीं सकती कभी ‘रश्मि’ सदाकत से

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

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