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6 May 2022 · 1 min read

छूकर तुमको

छूकर तुमको
जानना चाहता हूं मैं
तुम्हारा वह जादू और
हुनर कि मिट्टी को तुम
सोने में कैसे बदलते हो
अपने बदन पर गिरती
धूप को तुम
एक सुनहरी गोटे की किनारी से लिपटे आंचल से
कैसे ढकते हो
आसमान के तन से
जमीन के मन से और
अपनी रूह से तुम
रिश्ते कैसे निभाते हो
उनके बीच एक सामंजस्य कैसे
बिठाते हो
कैसे हो जाते हो
चांदनी रात में
चांद के रथ पर सवार और
दूर कहीं
परियों के देश की तरफ
उड़ जाते हो
कैसे सुबह फिर से उतर आते हो
एक चांदी की ओस की बूंद से
और अपने ही लिबास को कहीं
ओढ़कर
उससे लिपटकर
उसमें कहीं छिपकर
उसके आगोश में ही कहीं समा
जाते हो
हर सुबह दिखते हो
एक सूरज की उगती
नई तस्वीर से तुम
रात को ठंडी जो पुरवाई चले तो
मेरे मन को छूकर
निकलते
मेरे कानों में अपनी
कौन सी पिछले जन्म की
कोई नई सी अनुभूति देती
एक दो बिछड़े दिलों को
मिलाती हुई
कोई प्रेम कहानी सुना जाते हो।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 140 Views
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