छायावाद पलता प्रतापगढ़
सई नदी तट भव्य , मातु बेल्हा का मंदिर
बहती निर्झर नीर , सपूतो की यह धरती l
आचार्य भिखारीदास काव्य छन्दस यूं रचते
रीतिकाल कवि श्रेष्ठ अवध वीरों की धरती ll
पञ्च गुणित दो वर्ष साधना पंत नक्षत्रम l
प्रकृति मनोरम दृश्य उकेरे काव्य धरम l
कालाकांकर की पावन धरती, करती है अभिनन्दन
छायावाद पलता प्रतापगढ़ , भाल सुशोभित चन्दन
हरिवंश राय बच्चन की कविता मधुशाला मधुबाला है
काव्य धरोहर जनपद मेरा नमन काव्य शुचि न्यारा है
राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी