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25 May 2020 · 1 min read

छात्रावास में अपना वास

(छात्रावास में अपना वास)

गया जब मैं शहर में ,
एडमिशन मैरा नया था,।

रहने को मिला छात्रावास,
मैरा वहां नया निवास था,।

मिलें वहां पर मुझे कुछ अनजाने,
वहीं बन गए मैरे दोस्त दीवानें,।

जब मुझे घर की याद सताऐ,
सभी लोग मुझे समझाने आऐ,।

रात हुई तो सब एक साथ सो जाते,
सुबह चार बजे एक दूसरे को जगाते,।

नहाने के लिए अपना नम्बर लगाते,
मैं पहले नहा लूं कयी बहाने बनाते,।

सुबह सात बजे आदेश आया,
एक दूसरे का नाश्ता साथ में लाया,।

खेल वहां पर बहुत कुछ खेलें,
अब जाते हैं तो लगते अकेले,।

सोचा नहीं था कोई दूरी होगी,
छात्रावास छोड़ना कभी मजबूरी होगी,।

याद आते हैं सभी दोस्त पुराने,
क्या खूब थे वो हाॅस्टल के जमाने,।

लगता हैं अब आ जाऐ वहीं दिन,
सभी दोस्त हो एक साथ और हो अपना पन,।

लेखक—-Jayvind Singh Ngariya ji

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 424 Views
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